लाहौल में दुनिया की सबसे ऊंची और भारत की पहली स्नो मैराथन आज -

लाहौल में दुनिया की सबसे ऊंची और भारत की पहली स्नो मैराथन आज

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मैराथन अटल टनल के उत्तरी पोर्टल के पास सिस्सू से शुरू होगी। मैराथन टेक की औसत ऊंचाई 11 हजार फीट से ज्यादा है

खेल  टुडे ब्यूरो

नईदिल्ली : हिमाचल प्रदेश में आज हो रही स्नो मैराथन लाहौल दुनिया की सबसे ऊंची स्नो मैराथन होगी । यह देश की पहली स्नो मैराथन भी है।
यह न केवल भारत की पहली स्नो मैराथन है बल्कि विश्व की सबसे ऊंची स्नो मैराथन भी होगी।

भारत के पहले स्नो मैराथन को 26 मार्च 2022 को सिसु ;अटल टनल के पूर्वी पोर्टल के पास हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा। मैराथन ट्रैक की औसत ऊंचाई 11 हजार फीट से अधिक होने के साथ यह दुनिया भर में आयोजित होने वाला सबसे ऊंची स्नो मैराथन होगी।

स्नो मैराथन लाहौल की परिकल्पना गौरव शिमार ने की थी। और इसे रीच इंडिया की ओर से आयोजित किया जाएगा। मैराथन में करीब 100 धावक शामिल होंगे जिनमें से सबसे बड़ी उम्र के धावक की उम्र 72 साल है। धावकों में सबसे कम उम्र के धावक की उम्र 11 वर्ष है। इस इवेंट को लाहौल और स्पिति जिला प्रशासन ने भी समर्थन दिया जिसमें करीब एक दर्जन महिलाये हिस्सा लेंगी।

42 किलोमीटर का यह मैराथन ट्रैक बर्फीली ऊंची चोटियों ग्लेशियर बर्फीले झरनों आधी जमी हुई चंद्रा नदी बर्फीली झीलों के रास्ते से होते हुए गुजरेगा।
लाहौल स्नो मैराथन इवेंट के संस्थापक गौरव शिमार ने कहा हम निश्चित रूप से भारत में दौड़ में दिलचस्पी रखने वाले लोगों की संख्या बढ़ा रहे हैं। यह उपलब्धि हासिल करने में हमें काफी समय लगा है। हमारे जमीन पर बर्फ पर मैराथन काफी कम संख्या मेंआयोजित होती है इसलिए दौड़ के इस फॉर्मेट को लोगों के सामने पेश करने का यह सही समय है।

शिमार ने कहा इस मैराथन में धावक केवल बर्फ पर ही नहीं दौड़ेंगे बल्कि इसमें उनके ट्रायल के साथ मुश्किल चुनौतियों से निपटने की उनकी परीक्षा होगी। इसमें धावक को ऊंचाई पर आने वाली कठिनाइयों से भी निपटना होगा और कठिन हालात को भी सहना होगा।

लाहौल जिले के उपायुक्त और आईएएस श्री नीरज कुमार  उद्घाटन के अवसर पर आयोजित की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित थे। वह काफी खुश थे कि स्नो मैराथन लाहौल उनके जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगी। उन्होने स्नो मैराथन को शानदार तरीके से सफल बनाने में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।

इवेंट के मुख्य सलाहकार कर्नल अरुण नटराजन ने कहा इस दुनिया में इसी तरह की करीब 10 मैराथन पहाड़ों में बर्फ पर और सर्दियों में आयोजित होती हैं। इसमें आर्कटिक सर्कल उत्तरी ध्रुव और साइबेरिया जैसी जगहों पर होने वाली मैराथन भी शामिल हैं। भारत में पहली बार स्नो मैराथन की परिकल्पना की गई है। इसमें लंबी दूरी के धावक एक साथ नजर आएंगे। स्नो मैराथन सालाना इवेंट होगा। किसी भी गंभीर धावक के लिए इसमें हिस्सा लेना प्रतिष्ठा की बात होगी। भारतीय धावकों के किसी भी दूसरे मौजूदा मैराथन के फॉर्मेट से इस मैराथन में चुनौतियों को एक लेवल ऊपर उठाया गया है। यह इस ग्रह पर होने वाली सबसे मुश्किल दौड़ के लिए ट्रेनिंग का बेहतरीन मैदान साबित होगा।

स्नो मैराथन ने निश्चित रूप से धावक समुदाय के उत्साह को बढ़ाया है। इवेंट के ब्रैंड एंबेसेडर और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर धावक किरेन डिसूजा ने कहा मैं लाहौल में होने वाली स्नो मैराथन का हिस्सा बनकर काफी उत्साहित हूं। यह निश्चित रूप से नई दुनिया हैए जिसे देश भर के धावक महसूस कर रहे हैं। देश में स्नो मैराथन के लिए लाहौल.स्पीति से ज्यादा अच्छी जगह कोई नहीं हो सकती। मुझे उम्मीद है कि देश भर के कई साथी धावक इस ऐतिहासिक दौड़ का हिस्सा बनेंगे।

इस आयोजन ने निश्चित रूप से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसे कई लोगों और कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स का समर्थन मिला है। आउटडोर लोकेशन में होने वाल स्पोटर्स इवेंट का सबसे महत्वपूर्ण पहलू मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति उत्पन्न होता है जो कभी भी आ सकती है। इवेंट का यह महत्वपूर्ण हिस्सा फोर्टिस मोहाली ने भी कवर किया हैए जो इस इवेंट का मेडिकल पार्टनर है। इस इवेंट केलिए फोर्टिस मोहाली की टीम 2 लाइफ सपोर्ट ऐंबुलेंस भेजेगी। इसके साथ ही वहां इस इवेंट के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारियों की टीम भी भेजी जाएगी। फास्ट एंड अप जैसे ब्रांड्स इस इवेंट के न्यूट्रिशन पार्टनर हैं। पोलारॉयड आईवियर पार्टनर है। गार्मिनअवाडर्स पार्टनर है जो विजेताओं को आउटडोर में इस्तेमाल की जाने वाली टॉप घड़ियां पुरस्कार में देंगे। बॉन धावकों की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करेगा और सबसे महत्वपूर्ण वुडलैंड इवेंट के लिए आउटडोर में इस्तेमाल होने वाला साजो.सामान प्रदान करेगा।

इवेंट के आयोजक रीच इंडिया के सीईओ राजीव कुमार ने कहा स्नो मैराथन लाहौल ने दर्शकों और धावकों को अनूठा और बेमिसाल अनुभव प्रदान करेगी। इससे कई मुद्दों के संबंध में भी लोग जागरूक होंगे कि हिमालय पर सबसे बडी चुनौतियां जैसे वेस्ट मैनेजमेंट से कैसे निपटा जा सकता है। और यही इस इवेंट का मुख्य कारण भी है।

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