क्रिकेट की चौपाल में राजनीति और कॉरपोरेट की खूब पटती है -
दिल्ली यूनिवर्सिटी एलुमनी ने जीता पीएसपीबी बाबा दीप सिंह हॉकी टूर्नामेंट में महिला वर्ग का खिताब। Sheetal Devi gives world champion a scare as armless wonder bags silver in Khelo India national archery meet.Khelo India NTPC national ranking meet for able-bodied women in Delhi saw the best junior archers in action. HIMACHAL’S DHARAMSHALA BECOMES THE FIRST INDIAN STADIUM TO HOST A SISGRASS HYBRID PITCH INSTALLED BY GLOBAL SPORTS SURFACE COMPANY SIS PITCHES. Grandson of Dronacharya awardee Bhupender Dhawan Bryan Dhawan wins Bronze medal in Super Swimmers swimming Championship held at Salou, Spain. दिल्ली विश्वविद्यालय के खेल। श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज ने जीता पीएसपीबी बाबा दीप सिंह हॉकी टूर्नामेंट का खिताब ।पूर्व हॉकी ओलंपियन, अर्जुन अवार्ड, पद्मश्री और ध्यान चांद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित श्री हरबिंदर सिंह और पेट्रोलियम स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड के ज्वाइंट सेक्रेटरी दिल्ली के पूर्व रणजी क्रिकेटर गौतम वडेरा ने पुरस्कार बांटे।

क्रिकेट की चौपाल में राजनीति और कॉरपोरेट की खूब पटती है

Share us on
1,666 Views

राकेश थपलियाल

क्रिकेट के खेल का राजनीति और कॉरपोरेट के साथ गजब का चोली दामन वाला साथ रहा है। क्रिकेट की चौपाल में एक दूसरे के विरोधी विभिन्न राजनीतिक दलों और कॉरपोरेट घरानों के बीच भी आसानी से पट जाती है। यही वजह है कि क्रिकेट का खेल, क्रिकेट संगठन, क्रिकेट अधिकारी और क्रिकेट खिलाड़ी आर्थिक, राजनीतिक और सामजिक तौर पर काफी अच्छी स्थिति में रहते हैं।
24 फरवरी को अहमदाबाद में मोटेरा स्थित सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदल कर नरेन्द्र मोदी स्टेडियम रखा गया तो सभी लोग हैरान हो गए क्योंकि अभी तक यह सवाल उठाया जाता था कि स्टेडियम के नाम नेताओं के नाम पर क्यों रखे गए हैं?
अब पहले ऐसा हुआ है तो वर्तमान सरकार ने भी वैसा ही कर दिया। फर्क इतना जरूर है कि मोदी पूर्व में क्रिकेट प्रशासक रह चुके हैं।
इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है।  मोदी उन दिनों गुजरात के मुख्यमंत्री थे। तब इसी जगह पर पुराने स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर की एक उपलब्धि पर मोदी और उनके  कुछ राजनीतिक समर्थक ड्रेसिंग रूम में सचिन को बधाई देने चले गए। इस पर अंतरराषट्रीय क्रिकेट परिषद की एंटी करप्शन व सिक्योरिटी यूनिट के अधिकारी ने आपत्ति जताते हुए उस समय के गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष कांग्रेस के नेता नरहरि अमीन से कहा था कि ड्रेसिंग रूम में लोग कैसे चले गए? इसकी अनुमति नहीं है। इस पर अमीन ने कहा, मोदी जी राज्य के मुख्यमंत्री हैं, मै उन्हे कैसे रोक सकता हूं। तब उस अधिकारी ने कहा, ठीक है, मोदी जी को रहने दो बाकियों को बाहर निकालो।
इस फेर में कुछ लोगों को नियमों का हवाला देकर ड्रेसिंग रूम से बाहर बुलाया गया ।

कहा जाता है कि मोदी इस घटनाक्रम से नाराज़ हो गए थे। उन्होंने तभी तय किया कि वह गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन पर कांग्रेस का राज खत्म कर अपना वर्चस्व स्थापित करेंगे। वह अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे। इसकी तैयारी की गई और 2009 में चुनाव का समय आया तो मोदी ने नामांकन भरा। इसके बाद अमीन ने अपनी हार तय देखकर नाम वापस ले लिया और मोदी निर्विरोध अध्यक्ष बन गए। अमित शाह तब उपाध्यक्ष बने थे। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इस पद से इस्तीफा दिया था और तब अमित शाह अध्यक्ष बने और उनका बेटा जय शाह संयुक्त सचिव बना था। जो अब बीसीसीआई का सचिव है। मोदी के नाम पर स्टेडियम बना है तो उनका गुजरात की क्रिक्रेट के विकास में योगदान रहा है। देश में कहीं भी क्रिकेट स्टेडियम बनता है तो कॉरपोरेट का योगदान उसमे रहता है। अहमदाबाद में भी ऐसा हुआ है। अगर जल्द ही अन्य राज्यों में दूसरे खेलों के स्टेडियम भी मोदी के नाम पर बने तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। राजनेता के साथ खेल प्रशासक भी अपने नाम पर स्टेडियम बना चुके हैं। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रहे वानखेड़े के नाम पर मुंबई और एम ए चिदंबरम के नाम पर चेन्नई का स्टेडियम है तो दिल्ली में ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आर के खन्ना ने स्टेडियम अपने नाम पर रखा।  उनसे जब उस बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि वानखेड़े ने अपने नाम पर स्टेडियम बनवाया है तो मैं अपने नाम पर  क्यों नहीं रख सकता।

क्रिकेट का छोटा बड़ा आयोजन होता है तो कॉरपोरेट घरानों में  उसकेेेे प्रायोजन की होड़ लग जाती है। ऐसा अन्य खेलों में देखने को नहीं मिलता है।यही वजह है कि क्रिकेट की तुलना में अन्य खेलों के पास राजनीतिक और कॉरपोरेट समर्थन बहुत कम रहता है।राजनीति और कॉरपोरेट की मदद हर खेल को चाहिए।

आईपीएल शुरू होने के बाद से छोटे बड़े कॉरपोरेट अपनी टीम बनाकर क्रिकेट खेल रहे हैं। इनके लिए क्रिकेट टूर्नामेंट भी बहुत होने लगे है । अनेक कॉरपोरेट कंपनियां तो खिलाड़ियों को नौकरियां भी देती हैं। कुछ कॉरपोरेट क्रिकेट के साथ अन्य खेलों के विकास में भी योगदान देना चाहते हैं।
भारत के खेलमंत्री किरेन रीजीजू कई बार यह अपील कर चुके है कि देश में खेलों के विकास में योगदान देने के लिए कॉरपोरेट जगत को खूब योगदान देना होगा। खेल आयोजनों को प्रायोजित करने के साथ अगर कॉरपोरेट घराने बड़ी संख्या में विभिन्न खेलों के खिलाड़ियों को नौकरी दें तो उनकी तरफ से बड़ा योगदान होगा और हमारे युवा भी पूरे जोश में मेहनत कर खेलों में देश और अपनी कंपनी का नाम रोशन करेंगे।
(लेखक खेल टुडे पत्रिका के संपादक हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published.