पर्वतारोही लक्ष्मी झा को अवसर ट्रस्ट ने किया सम्मानित -

पर्वतारोही लक्ष्मी झा को अवसर ट्रस्ट ने किया सम्मानित

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पर्वतारोहण एक साहसिक खेल है। लेकिन इसे बाकी खेलों की तरह कोई खास प्रोत्साहन नहीं मिलता। बिहार की बेटी लक्ष्मी ने भीषण विपत्ति के बावजूद अपने सपने को पूरा किया है। इससे पहले उन्होंने विश्व की चौथी और अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला किलिमंजारो (5895 मीटर) पर भी भारतीय ध्वज फहराया है। विश्व की सबसे कठिन चढ़ाई में एक चढ़ाई किलिमअंजारो पर्वत को भी माना गया है। इसकी ऊंचाई 58.95मीटर है जबकि एवरेस्ट की ऊंचाई 88.48 मीटर है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है।मैं हमेशा  पर्वतारोहण के लिए लड़कियों को प्रोत्साहित करता रहता हूं और आगे भी करता रहूंगा। – आर. के. सिन्हा, अवसर ट्रस्ट के संस्थापक एवं पूर्व सांसद

खेल टुडे ब्यूरो
नई दिल्ली। अवसर ट्रस्ट की ओर से शुक्रवार को यहां प्रेस क्लब में पर्वतारोही लक्ष्मी झा को सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें 18 अगस्त को तुर्की की सबसे ऊंची माउंट अरारत चोटी (5,137 मीटर) को फतह करके वहां तिरंगा लहराने के लिए दिया गया।

12 अगस्त 2023 को अवसर ट्रस्ट के संस्थापक एवं पूर्व सांसद श्री आर. के. सिन्हा से फ्लैग ऑफ लेकर तुर्की के सबसे ऊंची चोटी (16854 फिट) अरारत पर अपने देश के तिरंगा को फराने के लिए दिल्ली से इस्तांमबुल से दोगुबेयाजित सिटी पहुंची थीं। वहां पहुंचते ही लक्ष्मी को पता चला की अरारत चोटी पर मौसम खराब बर्फबारी तेज तूफान हो रहे हैं। इसलिए 15 अगस्त समिट करने का प्लान कैंसिल करना पड़ा लेकिन 18 अगस्त को मौसम साफ़ होने पर लक्ष्मी ने फतह हासिल कर लिया।
अवसर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद श्री आर. के. सिन्हा ने कहा कि  पर्वतारोहण एक साहसिक खेल है। लेकिन इसे बाकी खेलों की तरह कोई खास प्रोत्साहन नहीं मिलता। बिहार की बेटी लक्ष्मी ने भीषण विपत्ति के बावजूद अपने सपने को पूरा किया है। इससे पहले उन्होंने विश्व की चौथी और अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला किलिमंजारो (5895 मीटर) पर भी भारतीय ध्वज फहराया है। विश्व की सबसे कठिन चढ़ाई में एक चढ़ाई किलिमअंजारो पर्वत को भी माना गया है। इसकी ऊंचाई 58.95मीटर है जबकि एवरेस्ट की ऊंचाई 88.48 मीटर है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है।
उन्होंने बताया कि मेरी ओर से अवसर ट्रस्ट ने पहले भी माउन्ट एवेरेस्ट फतह करके लौटी हरियाणा की पर्वतारोही अनीता कुंडू के कई पर्वतारोहण अभियान को भरपूर सहयोग दिया है। पर्वतारोही अनीता कुंडू के मार्गदर्शन ने लक्ष्मी की काफी मदद की। मैं हमेशा  पर्वतारोहण के लिए लड़कियों को प्रोत्साहित करता रहता हूँ और आगे भी करता रहूँगा।
पर्वतारोही लक्ष्मी ने अपनी यात्रा के बारे में बताया कि तुर्की के सबसे ऊंची चोटी (5,137 मीटर) अरारत पर्वत पर अपने देश के तिरंगा लहराकर बहुत गर्व हो रहा है। लेकिन यह बहुत मुश्किल भरा लक्ष्य था। उन्हें यह उपलब्धि 41 घंटे में चढ़ाई करके पूरी की। उन्होंने बताया कि चढ़ाई के दौरान -15 डिग्री का टेंपरेचर था जो हड्डी को गला सकता है ऐसे में अपने पथ पर डटे रहना और मंजिल पूरा करने में काफी मुश्किलें आई। 15 अगस्त को मौसम ख़राब था। 18 को पता चला मौसम सही है, फिर लक्ष्मी झा ने 18 को ही निकल पड़ी समिट के लिए 6 घंटे चढ़ाई करने के बाद पहले पहले बेस कैंप पहुंची। जिसकी ऊंचाई 3000 मीटर है। अगले दिन 3 घंटे की चढ़ाई करके बेस कैंप 4200 मीटर की ऊंचाई पर पहुँच कर इस मिशन को कम से कम टाइम में पूरी करनी थी। लेकिन अगर हौसला हो तो कोई भी मुश्किल से पार पाया जा सकता है।


लक्ष्मी झा बिहार के सहरसा जिले के बनगांव की रहने वाली है। लक्ष्मी झा ने अपने अनुभव को बताते हुए कहा कि भारत की ओर से सबसे पहली महिला है जिसने कम से कम समय में किलिमअंजारो पर्वत की चढ़ाई की है । उन्हें शिखर पर चढ़ने में भी सिर्फ 36 घंटे लगे जबकि अभी तक अन्य लोगों ने 6 से 8 दिन का समय लगाया है। आपको बताते चले कि विश्व की सबसे कठिन चढ़ाई में एक चढ़ाई किलिमअंजारो पर्वत को भी माना गया है। इसकी ऊंचाई 58.95मीटर है जबकि एवरेस्ट की ऊंचाई 88.48 मीटर है। उन्होंने ने बताया कि अब उनका अगला लक्ष्य एवरेस्ट पर चोटी पर तिरंगा लहराना है।

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