खेल बजट में कटौती और बढ़ोतरी पर आंकड़ों का ‘खेल’ -

खेल बजट में कटौती और बढ़ोतरी पर आंकड़ों का ‘खेल’

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राकेश थपलियाल
इस बार खेल बजट में ‘आंकड़ों का खेल’ जमकर खेला जा रहा है।केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में युवा कार्यक्रम‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍‍‍ और खेल मंत्रालय को जो धनराशि दी है उसकी तुलना पिछले वित्त वर्ष में मिली धनराशि से करें तो इसमें कटौती की गई है या बढ़ोतरी? यह सवाल खेल प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। खेल मंत्री और उनके मंत्रालय के अधिकारियों को कहना है कि खेल बजट कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ा है। खेलप्रेमी आंकड़े देखकर कह रहे हैं कि खेल बजट कम किया गया है। ये दोनों ही पिछले वित्त वर्ष के मुख्य बजट और संशोधित बजट के जरिए खूब  ‘खेल’  रहे हैं।
पिछले वित्त वर्ष के बजट में युवा कार्यक्रम‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍‍‍ और खेल मंत्रालय को 2826.92 करोड़ रुपये दिए गए थे। इस बार 2596.14 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जो पिछले वर्ष से 230.78 करोड़ रुपये कम है। खेलप्रेमी इसी आधार पर कह रहे हैं की कटौती की गई है। वे हैरान होकर पूछ रहे हैं कि इस वर्ष ओलंपिक भी होने हैं ऐसे में खेलों के लिए कम धनराशि क्यों दी गई है ?
वैसे पिछले वर्ष ज्यादा धनराशि इसलिए दी गई थी कि वो ओलंपिक वर्ष था लेकिन कोरोना महामारी के कारण ओलंपिक को 2021 तक स्थगित कर दिया गया था और खेल आयोजन रोक दिए गए थे।
इस कारण 2020-21 के संशोधित बजट योजना में युवा कार्यक्रम‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍‍‍ और खेल मंत्रालय के लिए 1800.15 करोड़ रुपये ही स्वीकृत किए गए थे। इससे तुलना कर  मंत्रालय के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि इस बार 795.99 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
यहां समझना जरूरी यह है कि युवा कार्यक्रम‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍‍‍ और खेल मंत्रालय में दो विभाग आते हैं। एक, युवा कार्यक्रम‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍‍‍ विभाग और  दूसरा, खेल विभाग। जो धनराशि इस मंत्रालय को दी जाती है वह दोनों विभागों के लिए होती है। इस हिसाब से जितना लोग समझते हैं खेलों के लिए उससे काफी कम धनराशि मिलती है।
कटौती और बढ़ोतरी के इस ‘खेल’ में यह सोचने का भी समय आ गया है कि खेलों के लिए एक अलग मंत्रालय हो। पहले खेल शिक्षा और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का हिस्सा होता था। युवा कार्यक्रम को भी इससे नई उड़ान मिलेगी और खेलों के मामले में आम जनता के बीच भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी।
2020-21 के संशोधित बजट में युवा कार्यक्रम‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍‍‍ और खेल मंत्रालय के लिए 1800.15 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। इसमें से भी खेल विभाग के लिए सिर्फ 1654 करोड़ रुपये ही थे। अब 2021-22 के  बजट में युवा कार्यक्रम‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍‍‍ और खेल मंत्रालय को 2596.14 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं । इसमें से खेल विभाग के लिए 1960.14 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इस आधार युवा कार्यक्रम‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍‍‍ और खेल मंत्रालय के अधिकारी कह रहे हैं कि खेलों के लिए बजट में 306.14 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। यह 19.13  प्रतिशत की बढ़ोतरी है।
इस बहस के बीच सबसे अच्छी, उम्मीद, उत्साह और विश्वास जगाने वाली बात युवा कार्यक्रम‌‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‍‍‍ और खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने कही है। उन्होंने कहा, ‘टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ियों की सारी जरूरतें पूरी की जाएंगी। जरूरत पड़ने पर संशोधित आवंटन का प्रावधान है।सरकार से और धनराशि देने की मांग की जा सकती है। यह विकल्प हमारे पास है।पिछले साल संशोधित आवंटन 1800.15 करोड़ रुपये का था, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण खेल ठप थे। इस साल का आवंटन पिछले साल के संशोधित आवंटन से 795.99 करोड़ रुपये अधिक है।’ उन्होंने कहा, ‘यह ओलंपिक खेलों का वर्ष है और इस समय ओलंपिक खेलों की तैयारी पर सरकार का प्रमुख ज़ोर है। भारतीय खेल प्राधिकरण-साई और राष्ट्रीय खेल महासंघों-के बजट में बड़ी वृद्धि यह सुनिश्चित करेगी कि धन की कोई कमी नहीं है और ओलंपिक खेलों की तैयारी जोर-शोर से जारी है। हम हर संभव प्रयास के साथ बेहतरीन तरीके से तैयारी करने में लगे हुए हैं।”
इस सरकार में कोई भी मंत्री बजट में कम आवंटन की बात नहीं कह सकता। ऐसे में रीजीजू से कुछ अलग की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। वह कटौती की खबरें छपने से खुश नहीं थे। इसीलिए उन्होंने स्पष्ट किया है कि खिलाड़ियों के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी।
खेल सचिव रवि मित्तल ने भी आंकड़े पेश करते हुए कहा है, ‘पिछले बजट के संशोधित आंकड़ों से तुलना करें तो इस साल आवंटन बढ़ गया है।’
बजट में इस बार भारतीय खेल प्राधिकरण साई और राष्ट्रीय खेल महासंघों को दी जाने वाली धनराशि बढ़ाई गई है। खेल मंत्री ने कहा, ‘खेल मंत्रालय राष्ट्रीय खेल महासंघों और खिलाड़ियों की मदद के लिए है। हम उनकी सारी जरूरतें पूरी करेंगे। धनराशि खिलाड़ियों के लिए है, राष्ट्रीय खेल महासंघों के लिए नहीं। हम अपने खिलाड़ियों को धनराशि महासंघों के जरिए देते है। खिलाड़ियों के लिए धन की कमी नहीं आएगी। विदेश में अभ्यास से लेकर विदेशी कोच तक, उनकी सारी जरूरतें पूरी की जाएंगी। एथलीटों या महासंघों द्वारा की गई किसी भी प्रकार की मांग लंबित नहीं है। खेल मंत्रालय किसी भी प्रकार के वित्तीय संकट का सामना नहीं कर रहा है।’
भारतीय खेल प्राधिकरण को 660.41 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, 2020-21 के बजट अनुमान की तुलना में इस बार के बजट आवंटन में 32.08 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ये जुलाई 2021 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक खेलों के लिए तैयारी करने वाले प्रमुख एथलीटों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार प्रमुख संस्था है। राष्ट्रीय
खेल महासंघों के लिए की गई  14.28 प्रतिशत की वृद्धि से भी भारतीय एथलीटों की ओलंपिक खेलों की तैयारी करने के लिए मदद मिलेगी। उन्हे 280 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
देखने वाली बात यही होगी की हर तरह की  सुविधा मिलने के बाद हमारे खिलाड़ी इस वर्ष जुलाई अगस्त में होने वाले ओलंपिक खेलों में कितने पदक जीतते है।

2 Responses

  1. AJAY NAITHANI says:

    बहुत बढ़िया….

  2. Harshita Sehrawat says:

    Great Sir I thanks to Sports minister and SAI for securing athletes life in such a pandemic

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