युवाओं में शीतकालीन खेलों के प्रति बढ़ रही है दिलचस्पी -
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युवाओं में शीतकालीन खेलों के प्रति बढ़ रही है दिलचस्पी

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राकेश थपलियाल

हमारे देश में शीतकालीन खेल ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाए हैं। इन्हें भरतीय खेल प्रेमी पर्यटन के दौरान मौजमस्ती के रूप में ही ज्यादा देखते हैं। शीतकालीन खेलों में भारतीय सितारे की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के शिवा केशवन का नाम ही जेहन में आता है। वह छह बार शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्होंने इसके लिए जीवन में बहुत मेहनत और संघर्ष किया है। ल्यूज स्पर्धा के महारथी शिवा को खेल में कठोर परिश्रम के साथ-साथ खर्च के लिए प्रायोजक जुटाने में भी एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा है। अब भारत सरकार देश में शीतकालीन खेलों यानि बर्फ में खेले जाने वाले खेलों को खूब बढ़ावा दे रही है। इसका बड़ा उदाहरण है इस वर्ष फरवरी-मार्च में जम्मू-कश्मीर में हुए दूसरे खेलो इंडिया शीतकालीन खेल। इन पांच दिवसीय खेलों के उद्घाटन के लिए केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रीजीजू विशेष तौर पर आयोजन स्थली गुलमर्ग पहुंचे और खेल प्रेमी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रतिभागियों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर उनका उत्साह बढ़ाया। इससे शीतकालीन खेलों के प्रति देशभर के लोगों में विशेषकर युवाओं में दिलचस्पी बढ़ी वहीं स्थानीय प्रशासन ने भी उत्साहित होकर कार्य किया। यह बताया गया है कि विश्व में शीतकालीन खेल केन्द्रों की सूची में भारत 14वें स्थान पर है और अब सरकार का लक्ष्य टॉप-5 में आने का है।

देशभर के 27 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के 1200 से अधिक खिलाड़ियों और अधिकारियों की मौसम की कठिन परिस्थितियों के बीच शानदार मेजबानी की गई। जिससे खुश होकर अगले वर्ष भी इन खेलों की मेजबानी गुलमर्ग को ही सौंपी गई।
मेजबान जम्मू-कश्मीर के दल ने इन खेलों की अनेक स्पर्धाओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए लगातार दूसरे वर्ष ओवरआल चैंपियन बनने का गौरव पाया। उसके खिलाड़ियों ने 11 स्वर्ण, 18 रजत और 5 कांस्य पदक सहित कुल 34 पदक जीत पदक तालिका में शीर्ष स्थान पाया। पिछले साल, मेजबान जम्मू-कश्मीर ने कुल 26 स्वर्ण पदक जीते थे।

आर्मी स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड ने 9 स्वर्ण, 8 रजत, 7 कांस्य सहित कुल 24 पदक जीत दूसरा, कर्नाटक ने 5 स्वर्ण और 4 कांस्य पदक जीत कुल 9 पदकों के साथ तीसरा स्थान पाया। महाराष्ट्र ने 3 स्वर्ण, 3 रजत और 2 कांस्य सहित कुल 8 पदक जीते। उत्तराखंड ने 3 स्वर्ण, 1 रजत और 3 कांस्य से कुल 7 पदक और हिमाचल प्रदेश ने 2 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य से कुल 8 पदक जीते। दिल्ली के खाते में एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य सहित कुल चार पदक आए।

शीतकालीन खेलों के दूसरे संस्करण में 1200 से अधिक लोगों की भागीदारी हुई, जिसमें 27 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के 600 एथलीट शामिल रहे। इन एथलीटों की सूची में भारतीय सेना व पर्वतारोहण और जवाहर इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनरिंग एंड विंटर स्पोर्ट्स से जुड़े खिलाड़ी  शामिल थे। इस प्रतियोगिता में स्प्रिंट, स्पीड स्केटिंग, आइस हॉकी, फिगर स्केटिंग, आइस स्टॉक, जाइंट स्लैलम, स्नो बोर्डिंग, वर्टिकल रेस, क्रॉस कंट्री, स्नोशू, लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग, स्की माउंटेनरिंग, स्कीइंग और नॉर्डिक स्की जैसे विभिन्न खेल शामिल हैं।
जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन ने इस पूरे कार्यक्रम के दौरान राहत और बचाव कार्यों के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष की एक विशेष टीम के साथ चौबीसों घंटे डॉक्टरों और एम्बुलेंस की एक विशेष टीम को तैनात किया था।


गुलमर्ग के गोल्फ क्लब में केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री किरेन रीजीजू, जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और अन्य गणमान्य लोगों के साथ उपस्थित थे। इस वार्षिक कार्यक्रम की शुरुआत पिछले साल लद्दाख और जम्मू-कश्मीर से हुई थी। इस बार का आयोजन जम्मू-कश्मीर स्पोर्ट्स काउंसिल और जम्मू एवं कश्मीर  विंटर गेम्स एसोसिएशन द्वारा युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के तत्वावधान में किया गया। यह स्पोर्ट्स मीट 2 मार्च तक चली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दूसरे खेलो इंडिया राष्ट्रीय शीतकालीन खेलों के उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन कहा ‘ खेलो इंडिया-शीतकालीन खेल का दूसरा संस्करण आज से शुरू हो रहा है। शीतकालीन खेलों में भारत की प्रभावी उपस्थिति के साथ यह जम्मू-कश्मीर को खेलों का एक प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। खिलाड़ियों की संख्यो इन शीतकालीन खेलों में दोगुनी हो गई है, जो शीतकालीन खेलों के प्रति बढ़ते उत्साह को प्रदर्शित करता है। इन शीतकालीन खेलों के अनुभव से खिलाड़ियों को शीतकालीन ओलंपिक में भाग लेने में मदद मिलेगी। जम्मू और कश्मीर में शीतकालीन खेल एक नए खेल इकोसिस्टम को विकसित करने में मदद करेंगे।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन जम्मू एवं कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में नये उत्सारह का संचार करेगा। उन्होंने कहा कि खेल के क्षेत्र में दुनियाभारत के देश अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। खेल वैश्विक आयाम रखते हैं और यह दृष्टिकोण खेल इकोसिस्टम में किये गए हाल के सुधारों का मार्गदर्शन करता है। यह खेलो इंडिया अभियान से ओलंपिक पोडियम तक का एक समग्र दृष्टिकोण है। खेल पेशेवरों द्वारा उच्चतम वैश्विक मंच तक लाने के लिए जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं की पहचान की जा रही है। प्रतिभा पहचान से लेकर टीम चयन तक पारदर्शिता सरकार की प्राथमिकता है। खिलाड़ियों की गरिमा और उनके योगदान की मान्यता सुनिश्चित की जा रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेलों को गौरवपूर्ण स्थान दिया गया है। उन्हों ने कहा कि खेल, जिन्हें पहले पाठ्येतर गतिविधि माना जाता था, अब इन्हें पाठ्यक्रम के अंग के रूप में शामिल किया जा रहा है और खेलों में प्राप्त होने वाले अंकों को बच्चों की शिक्षा के साथ जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि खेलों के लिए उच्च शिक्षा संस्थान और खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। उन्होंने खेल विज्ञान और खेल प्रबंधन को स्कूली स्तर तक ले जाने पर जोर दिया, क्योंकि इससे युवाओं के करियर की संभावनाओं में सुधार होगा और खेल अर्थव्यवस्था में भारत की उपस्थिति बढ़ेगी।
मोदी ने युवा खिलाड़ियों को यह याद रखने को कहा कि वे आत्मनिर्भर भारत के ब्रांड एंबेसडर हैं। विश्व,भारत का खेल क्षेत्र में उसके प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करता है।

इस अवसर पर केन्द्रीय खेल मंत्री  किरेन रीजिजू ने जम्मू एवं कश्मीर में खेल संबंधी इकोसिस्टम को और विकसित करने के लिए अनेक योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने कहा ‘हमने घोषणा की थी कि हम यहां अत्याधुनिक शीतकालीन खेल अकादमी बनाएंगे। अब, हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि वर्ल्ड स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूट को जल्द ही यहां खोलने के लिए  प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई है। निधि पहले ही आवंटित की जा चुकी है।’
रीजीजू ने कहा ‘घाटी के सभी जिलों में घोषित 100 छोटे खेलो इंडिया केंद्रों में से,  40 को पहले ही स्वीकृति दी गई हैं और जम्मू के लिए शेष 60 केन्द्रों की मंजूरी अगले वित्तीय वर्ष में दी जाएगी। सेवानिवृत्त खिलाड़ी, कोच इन केन्द्रों का संचालन कर सकते हैं और खेलों के लिए वापस योगदान दे सकते हैं, जबकि आजीविका का भी अर्जित कर सकते हैं। हमने जूडो, फेंसिंग और रोइंग जैसे खेलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए यहां दो केआईएससीई भी खोले हैं। श्रीनगर में भी हमने एक जल क्रीड़ा से जुड़ी  सुविधा शुरू करने का फैसला किया है जो अप्रैल या मई तक पूरी हो सकती है। इसके अलावा, हमने माता वैष्णोदेवी खेल परिसर को खेलो इंडिया अकादमी के रूप में मान्यता देने का फैसला किया है।’

जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस समारोह के सुचारु संचालन के लिए खेल विभाग को धन्यवाद दिया और कहा ‘हम गुलमर्ग की खूबसूरत घाटी में खेलों के माध्यम से एकता, प्रेम, सशक्तिकरण और शांति का संदेश देना चाहते हैं। हम विश्व में शीतकालीन खेल केन्द्रों की सूची में 14वें स्थान पर हैं, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री, श्री रीजीजू, केन्द्र सरकार, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, केन्द्रशासित खेल विभाग और खेल परिषद और खासकर युवाओं की ऊर्जा से जम्मू-कश्मीर शीर्ष 5 में शामिल होगा।’
किसी  भी खेल आयोजन के समय बातें और वादे बहुत किए जाते हैं।

इन खेलों के मामले में भी  ऐसा हुआ है। देखने वाली बात यह होगी कि भविष्य में शीतकालीन खेलों के विकास के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं और  खिलाड़ियों को कितनी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

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